Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
27 एकरसेति, जऊन ह गलत ढंग ले परभू के रोटी ला खाथे या ओकर कटोरा म ले पीथे, त ओह परभू के देहें अऊ लहू के बिरोध म पाप करे के दोसी ठहिरथे। 28 एकरसेति, हर एक झन रोटी ला खाय अऊ कटोरा म ले पीये के पहिली अपन-आप ला जांचय। 29 काबरकि जऊन ह परभू के देहें के महत्व ला समझे बिगर, रोटी ला खाथे अऊ कटोरा म ले पीथे, ओह अपन ऊपर दंड लाथे। 30 एकरे कारन तुमन ले कतको झन दुरबल अऊ बेमार पड़े हवंय अऊ कतको झन तो मर घलो गे हवंय। 31 पर यदि हमन अपन-आप ला जांचबो, त हमन सजा के भागी नइं होबो। 32 जब परभू ह हमन ला जांचथे-परखथे, त ओह हमर ताड़ना करथे ताकि हमन संसार के मनखेमन संग दोसी झन ठहिरन।
33 एकरसेति, हे मोर भाईमन हो, जब तुमन परभू भोज खाय बर जूरथव, त एक-दूसर खातिर अगोरव। 34 यदि कोनो ला भूख लगथे, त ओला घर म खा लेना चाही, ताकि जब तुमन जूरव, त ए बात ह दंड के कारन झन बनय।
अऊ जब मेंह आहूं, त अऊ आने चीजमन के बारे म बताहूं।
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