Revised Common Lectionary (Semicontinuous)
31 ए दरमियान यीसू के चेलामन ओकर ले बिनती करिन, “हे गुरूजी, कुछू खा ले।”
32 पर यीसू ह ओमन ला कहिस, “मोर करा खाय बर अइसने भोजन हवय, जेकर बारे म तुमन कुछू नइं जानत हव।”
33 तब चेलामन एक-दूसर ले पुछे लगिन, “का कोनो एकर बर कुछू खाय बर लाय हवय?”
34 यीसू ह ओमन ला कहिस, “मोर भोजन ए अय कि मेंह अपन पठोइया परमेसर के ईछा ला पूरा करंव अऊ ओ काम ला पूरा करंव, जऊन ला ओह मोला दे हवय। 35 का तुमन ए नइं कहव, ‘फसल ला पके बर चार महिना बांचे हवय, तब लुवई सुरू होही।’ अपन चारों कोति देखव – मनखेमन के आतमा के खेत ला, जऊन ह लुवई बर तियार हवय। 36 ओ मनखे जऊन ह फसल लूथे, ओला ओकर बनी मिलथे अऊ ओह परमेसर के संग सदाकाल के जिनगी बर फर संकेलथे; ताकि बोवइया अऊ लुवइया दूनों मिलके खुसी मनावंय। 37 एकरसेति ए कहावत ह सही ए, ‘कोनो बोथे, त कोनो आने ओला लूथे।’ 38 मेंह तुमन ला उहां फसल लुए बर पठोएंव, जिहां तुमन नइं बोए रहेव; आने मन उहां कठोर मिहनत करिन, अऊ तुमन ला ओमन के मिहनत के फर मिलिस।”
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