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यीशु को छोड़ने में पिलातुस असफल

(मरकुस 15:6-15; लूका 23:13-25; यूहन्ना 18:39-19:16)

15 फसह पर्व के अवसर पर राज्यपाल का रिवाज़ था कि वह किसी भी एक कैदी को, जिसे भीड़ चाहती थी, उनके लिए छोड़ दिया करता था। 16 उसी समय बरअब्बा नाम का एक बदनाम कैदी वहाँ था।

17 सो जब भीड़ आ जुटी तो पिलातुस ने उनसे पूछा, “तुम क्या चाहते हो, मैं तुम्हारे लिये किसे छोड़ूँ, बरअब्बा को या उस यीशु को, जो मसीह कहलाता है?” 18 पिलातुस जानता था कि उन्होंने उसे डाह के कारण पकड़वाया है।

19 पिलातुस जब न्याय के आसन पर बैठा था तो उसकी पत्नी ने उसके पास एक संदेश भेजा, “उस सीधे सच्चे मनुष्य के साथ कुछ मत कर बैठना। मैंने उसके बारे में एक सपना देखा है जिससे आज सारे दिन मैं बेचैन रही।”

20 किन्तु प्रमुख याजकों और बुज़ुर्ग यहूदी नेताओं ने भीड़ को बहकाया, फुसलाया कि वह पिलातुस से बरअब्बा को छोड़ने की और यीशु को मरवा डालने की माँग करें।

21 उत्तर में राज्यपाल ने उनसे पूछा, “मुझ से दोनों कैदियों में से तुम अपने लिये किसे छुड़वाना चाहते हो?”

उन्होंने उत्तर दिया, “बरअब्बा को!”

22 तब पिलातुस ने उनसे पूछा, “तो मैं, जो मसीह कहलाता है उस यीशु का क्या करूँ?”

वे सब बोले, “उसे क्रूस पर चढ़ा दो।”

23 पिलातुस ने पूछा, “क्यों, उसने क्या अपराध किया है?”

किन्तु वे तो और अधिक चिल्लाये, “उसे क्रूस पर चढ़ा दो।”

24 पिलातुस ने देखा कि अब कोई लाभ नहीं। बल्कि दंगा भड़कने को है। सो उसने थोड़ा पानी लिया और भीड़ के सामने अपने हाथ धोये, वह बोला, “इस व्यक्ति के खून से मेरा कोई सरोकार नहीं है। यह तुम्हारा मामला है।”

25 उत्तर में सब लोगों ने कहा, “इसकी मौत की जवाबदेही हम और हमारे बच्चे स्वीकार करते हैं।”

26 तब पिलातुस ने उनके लिए बरअब्बा को छोड़ दिया और यीशु को कोड़े लगवा कर क्रूस पर चढ़ाने के लिए सौंप दिया।

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पिलातुस यीशु को छोड़ने में विफल

(मत्ती 27:15-31; लूका 23:13-25; यूहन्ना 18:39-19:16)

फ़सह पर्व के अवसर पर पिलातुस किसी भी एक बंदी को, जिसे लोग चाहते थे उनके लिये छोड़ दिया करता था। बरअब्बा नाम का एक बंदी उन बलवाइयों के साथ जेल में था जिन्होंने दंगे में हत्या की थी।

लोग आये और पिलातुस से कहने लगे कि वह जैसा सदा से उनके लिए करता आया है, वैसा ही करे। पिलातुस ने उनसे पूछा, “क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिये यहूदियों के राजा को छोड़ दूँ?” 10 पिलातुस ने यह इसलिए कहा कि वह जानता था कि प्रमुख याजकों ने ईर्षा-द्वेष के कारण ही उसे पकड़वाया है। 11 किन्तु प्रमुख याजकों ने भीड़ को उकसाया कि वह उसके बजाय उनके लिये बरअब्बा को ही छोड़े।

12 किन्तु पिलातुस ने उनसे बातचीत करके फिर पूछा, “जिसे तुम यहूदियों का राजा कहते हो, उसका मैं क्या करूँ बताओ तुम क्या चाहते हो?”

13 उत्तर में ये चिल्लाये, “उसे क्रूस पर चढ़ा दो!”

14 तब पिलातुस ने उनसे पूछा, “क्यों, उसने ऐसा क्या अपराध किया है?”

पर उन्होंने और अधिक चिल्ला कर कहा, “उसे क्रूस पर चढ़ा दो।”

15 पिलातुस भीड़ को खुश करना चाहता था इसलिये उसने उनके लिए बरअब्बा को छोड़ दिया और यीशु को कोड़े लगवा कर क्रूस पर चढ़ाने के लिए सौंप दिया।

16 फिर सिपाही उसे रोम के राज्यपाल निवास में ले गये। उन्होंने सिपाहियों की पूरी पलटन को बुला लिया। 17 फिर उन्होंने यीशु को बैंजनी रंग का वस्त्र पहनाया और काँटों का एक ताज बना कर उसके सिर पर रख दिया। 18 फिर उसे सलामी देने लगे: “यहूदियों के राजा का स्वागत है!” 19 वे उसके सिर पर सरकंडे मारते जा रहे थे। वे उस पर थूक रहे थे। और घुटनों के बल झुक कर वे उसके आगे नमन करते जाते थे। 20 इस तरह जब वे उसकी खिल्ली उड़ा चुके तो उन्होंने उसका बैंजनी वस्त्र उतारा और उसे उसके अपने कपड़े पहना दिये। और फिर उसे क्रूस पर चढ़ाने, बाहर ले गये।

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यीशु को मरना होगा

(मत्ती 27:15-26; मरकुस 15:6-15; यूहन्ना 18:39-19:16)

13 फिर पिलातुस ने प्रमुख याजकों, यहूदी नेताओं और लोगों को एक साथ बुलाया। 14 उसने उनसे कहा, “तुम इसे लोगों को भटकाने वाले एक व्यक्ति के रूप में मेरे पास लाये हो। और मैंने यहाँ अब तुम्हारे सामने ही इसकी जाँच पड़ताल की है और तुमने इस पर जो दोष लगाये हैं उनका न तो मुझे कोई आधार मिला है और 15 न ही हेरोदेस को क्योंकि उसने इसे वापस हमारे पास भेज दिया है। जैसा कि तुम देख सकते हो इसने ऐसा कुछ नहीं किया है कि यह मौत का भागी बने। 16 इसलिये मैं इसे कोड़े मरवा कर छोड़ दूँगा।” 17 [a]

18 किन्तु वे सब एक साथ चिल्लाये, “इस आदमी को ले जाओ। हमारे लिये बरअब्बा को छोड़ दो।” 19 (बरअब्बा को शहर में मार धाड़ और हत्या करने के जुर्म में जेल में डाला हुआ था।)

20 पिलातुस यीशु को छोड़ देना चाहता था, सो उसने उन्हें फिर समझाया। 21 पर वे नारा लगाते रहे, “इसे क्रूस पर चढ़ा दो, इसे क्रूस पर चढ़ा दो।”

22 पिलातुस ने उनसे तीसरी बार पूछा, “किन्तु इस व्यक्ति ने क्या अपराध किया है? मुझे इसके विरोध में कुछ नहीं मिला है जो इसे मृत्यु दण्ड का भागी बनाये। इसलिये मैं कोड़े लगवाकर इसे छोड़ दूँगा।”

23 पर वे ऊँचे स्वर में नारे लगा लगा कर माँग कर रहे थे कि उसे क्रूस पर चढ़ा दिया जाये। और उनके नारों का कोलाहल इतना बढ़ गया कि 24 पिलातुस ने निर्णय दे दिया कि उनकी माँग मान ली जाये।

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Footnotes

  1. 23:17 कुछ यूनानी प्रतियों में पद 17 जोड़ा गया है: “पिलातुस को फ़सह पर्व पर हर साल जनता के लिये कोई एक बंदी को छोड़ना पड़ता था।”

38 पिलातुस ने उससे पूछा, “सत्य क्या है?” ऐसा कह कर वह फिर यहूदियों के पास बाहर गया और उनसे बोला, “मैं उसमें कोई खोट नहीं पा सका हूँ 39 और तुम्हारी यह रीति है कि फ़सह पर्व के अवसर पर मैं तुम्हारे लिए किसी एक को मुक्त कर दूँ। तो क्या तुम चाहते हो कि मैं इस ‘यहूदियों के राजा’ को तुम्हारे लिये छोड़ दूँ?”

40 एक बार वे फिर चिल्लाये, “इसे नहीं, बल्कि बरअब्बा को छोड़ दो।” (बरअब्बा एक बाग़ी था।)

19 तब पिलातुस ने यीशु को पकड़वा कर कोड़े लगवाये। फिर सैनिकों ने कँटीली टहनियों को मोड़ कर एक मुकुट बनाया और उसके सिर पर रख दिया। और उसे बैंजनी रंग के कपड़े पहनाये। और उसके पास आ-आकर कहने लगे, “यहूदियों का राजा जीता रहे” और फिर उसे थप्पड़ मारने लगे।

पिलातुस एक बार फिर बाहर आया और उनसे बोला, “देखो, मैं तुम्हारे पास उसे फिर बाहर ला रहा हूँ ताकि तुम जान सको कि मैं उसमें कोई खोट नहीं पा सका।” फिर यीशु बाहर आया। वह काँटो का मुकुट और बैंजनी रंग का चोगा पहने हुए था। तब पिलातुस ने कहा, “यह रहा वह पुरुष।”

जब उन्होंने उसे देखा तो महायाजकों और मन्दिर के पहरेदारों ने चिल्ला कर कहा, “इसे क्रूस पर चढ़ा दो। इसे क्रूस पर चढ़ा दो।”

पिलातुस ने उससे कहा, “तुम इसे ले जाओ और क्रूस पर चढ़ा दो, मैं इसमें कोई खोट नहीं पा सक रहा हूँ।”

यहूदियों ने उसे उत्तर दिया, “हमारी व्यवस्था है जो कहती है, इसे मरना होगा क्योंकि इसने परमेश्वर का पुत्र होने का दावा किया है।”

अब जब पिलातुस ने उन्हें यह कहते सुना तो वह बहुत डर गया। और फिर राजभवन के भीतर जाकर यीशु से कहा, “तू कहाँ से आया है?” किन्तु यीशु ने उसे उत्तर नहीं दिया। 10 फिर पिलातुस ने उससे कहा, “क्या तू मुझसे बात नहीं करना चाहता? क्या तू नहीं जानता कि मैं तुझे छोड़ने का अधिकार रखता हूँ और तुझे क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है।”

11 यीशु ने उसे उत्तर दिया, “तुम्हें तब तक मुझ पर कोई अधिकार नहीं हो सकता था जब तक वह तुम्हें परम पिता द्वारा नहीं दिया गया होता। इसलिये जिस व्यक्ति ने मुझे तेरे हवाले किया है, तुझसे भी बड़ा पापी है।”

12 यह सुन कर पिलातुस ने उसे छोड़ने का कोई उपाय ढूँढने का यत्न किया। किन्तु यहूदी चिल्लाये, “यदि तू इसे छोड़ता है, तो तू कैसर का मित्र नहीं है, कोई भी जो अपने आप को राजा होने का दावा करता है, वह कैसर का विरोधी है।”

13 जब पिलातुस ने ये शब्द सुने तो वह यीशु को बाहर उस स्थान पर ले गया जो “पत्थर का चबूतरा” कहलाता था। (इसे इब्रानी भाषा में गब्बता कहा गया है।) और वहाँ न्याय के आसन पर बैठा। 14 यह फ़सह सप्ताह की तैयारी का दिन था।[a] लगभग दोपहर हो रही थी। पिलातुस ने यहूदियों से कहा, “यह रहा तुम्हारा राजा!”

15 वे फिर चिल्लाये, “इसे ले जाओ! इसे ले जाओ। इसे क्रूस पर चढ़ा दो!”

पिलातुस ने उनसे कहा, “क्या तुम चाहते हो तुम्हारे राजा को मैं क्रूस पर चढ़ाऊँ?”

इस पर महायाजकों ने उत्तर दिया, “कैसर को छोड़कर हमारा कोई दूसरा राजा नहीं है।”

16 फिर पिलातुस ने उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिए उन्हें सौंप दिया।

यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना

(मत्ती 27:32-44; मरकुस 15:21-32; लूका 23:26-39)

इस तरह उन्होंने यीशु को हिरासत में ले लिया।

Footnotes

  1. 19:14 तैयारी का दिन अर्थात् शुक्रवार जब यहूदी सब्त की तैयारी करते थे।