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11 मोर चाल-चलन के नकल करव, जइसने मेंह मसीह के चाल-चलन के नकल करथंव।

अराधना कइसने होना चाही

मेंह तुम्‍हर परसंसा करत हंव काबरकि तुमन हर एक बात म मोला सुरता करथव अऊ जऊन बात मेंह तुमन ला सिखोय रहेंव, ओकर मुताबिक चलथव।

अब मेंह चाहथंव कि तुमन ए बात ला जान लेवव कि हर आदमी के मुड़ ह मसीह ए, अऊ माईलोगन के मुड़ ह ओकर घरवाला ए अऊ मसीह के मुड़ ह परमेसर ए। ओ मनखे जऊन ह अपन मुड़ ला ढांक के पराथना या अगमबानी करथे, ओह अपन मुड़ के अपमान करथे। अऊ ओ माईलोगन जऊन ह अपन मुड़ ला बिगर ढांके पराथना या अगमबानी करथे, ओह अपन मुड़ के अपमान करथे – ए बात ह अइसने अय मानो ओह अपन बाल ला मुड़वा ले हवय। यदि कोनो माईलोगन अपन मुड़ ला नइं ढांकय, त ओला अपन मुड़ ला मुड़वा लेना चाही; अऊ यदि माईलोगन बर ओकर बाल कटई या बाल मुड़वई कलंक के बात ए, त ओला अपन मुड़ ढांकना चाही। आदमी ला अपन मुड़ नइं ढांकना चाही, काबरकि ओह परमेसर के सरूप अऊ महिमा ए, पर माईलोगन ह आदमी के महिमा ए। आदमी ह माईलोगन ले बनाय नइं गीस, पर माईलोगन ह आदमी ले बनाय गीस; अऊ आदमी ह माईलोगन बर बनाय नइं गीस, पर माईलोगन ह आदमी बर बनाय गीस। 10 एकरे कारन, अऊ स्वरगदूतमन के कारन, माईलोगन ला अपन मुड़ म अधिकार के चिन्‍हां होना चाही।

11 तभो ले परभू म न तो माईलोगन ह आदमी ले अलग अय अऊ न ही आदमी ह माईलोगन ले अलग अय। 12 काबरकि जइसने माईलोगन ह आदमी ले बनाय गीस, वइसने आदमी ह घलो माईलोगन ले जनमे हवय। पर हर चीज परमेसर करा ले आथे। 13 तुमन खुदे सोचव: का कोनो माईलोगन बर एह उचित ए कि ओह बिगर मुड़ ढांके परमेसर ले पराथना करय? 14 सुभाविक रूप ले का तुमन नइं जानव कि यदि कोनो आदमी ह लम्‍बा बाल रखथे, त एह ओकर बर कलंक के बात ए, 15 पर यदि कोनो माईलोगन ह लम्‍बा बाल रखथे, त एह ओकर सोभा ए? काबरकि लम्‍बा बाल, ओला ढांके बर दिये गे हवय। 16 यदि कोनो एकर बारे म बहस करे चाहथे, त मेंह सिरिप ए कह सकथंव कि न तो हमर अऊ न ही परमेसर के कलीसियामन के कोनो आने रीति-रिवाज हवय।

परभू भोज

17 अब जऊन बात मेंह तुमन ला लिखत हवंव, ओम मेंह तुम्‍हर बड़ई नइं करंव, काबरकि कलीसिया के सभा म तुमन भलई करे के बदले जादा नुकसान करथव। 18 पहिली बात, मेंह ए सुने हवंव कि जब तुमन एक कलीसिया के रूप म जूरथव, त तुम्‍हर बीच म दलबंदी दिखथे; अऊ मेंह ए बात ला कुछू हद तक बिसवास घलो करथंव। 19 एह जरूरी ए कि तुमन म दलबंदी होवय ताकि तुमन के बीच म जऊन मन सही अंय, ओमन के पहिचान होवय। 20 जब तुमन एक संग जूरथव अऊ जऊन चीज ला खाथव, ओह परभू भोज नो हय, 21 काबरकि हर मनखे ह दूसर ला अगोरे बिगर खा लेथे। कोनो तो भूखन रहि जाथे अऊ कोनो मतवाल हो जाथे। 22 खाय-पीये बर का तुम्‍हर घर नइं ए? या फेर तुमन परमेसर के कलीसिया ला तुछ समझथव अऊ जऊन मन करा कुछू नइं ए, ओमन के अपमान करथव। मेंह तुमन ला का कहंव? ए बात बर का मेंह तुम्‍हर बड़ई करंव? बिलकुल नइं।

23 काबरकि जऊन बात परभू ह मोला बताईस, ओला मेंह तुमन ला बता देंव: जऊन रतिहा परभू यीसू ला पकड़े गीस, ओ रतिहा ओह रोटी लीस 24 अऊ परमेसर ला धनबाद देके ओला टोरिस अऊ कहिस, “एह मोर देहें अय, जऊन ह तुम्‍हर बर अय। मोर सुरता म एही करे करव।” 25 खाना खाय के बाद, ओही किसम ले परभू ह कटोरा ला लीस अऊ कहिस, “ए कटोरा ह मोर लहू म नवां करार ए; जब भी तुमन एला पीयव, त ए काम ला मोर सुरता म करे करव।” 26 काबरकि जब भी तुमन ए रोटी ला खाथव अऊ ए कटोरा म ले पीथव, त तुमन परभू के मिरतू के परचार तब तक करथव, जब तक कि ओह फेर नइं आ जावय।

27 एकरसेति, जऊन ह गलत ढंग ले परभू के रोटी ला खाथे या ओकर कटोरा म ले पीथे, त ओह परभू के देहें अऊ लहू के बिरोध म पाप करे के दोसी ठहिरथे। 28 एकरसेति, हर एक झन रोटी ला खाय अऊ कटोरा म ले पीये के पहिली अपन-आप ला जांचय। 29 काबरकि जऊन ह परभू के देहें के महत्‍व ला समझे बिगर, रोटी ला खाथे अऊ कटोरा म ले पीथे, ओह अपन ऊपर दंड लाथे। 30 एकरे कारन तुमन ले कतको झन दुरबल अऊ बेमार पड़े हवंय अऊ कतको झन तो मर घलो गे हवंय। 31 पर यदि हमन अपन-आप ला जांचबो, त हमन सजा के भागी नइं होबो। 32 जब परभू ह हमन ला जांचथे-परखथे, त ओह हमर ताड़ना करथे ताकि हमन संसार के मनखेमन संग दोसी झन ठहिरन।

33 एकरसेति, हे मोर भाईमन हो, जब तुमन परभू भोज खाय बर जूरथव, त एक-दूसर खातिर अगोरव। 34 यदि कोनो ला भूख लगथे, त ओला घर म खा लेना चाही, ताकि जब तुमन जूरव, त ए बात ह दंड के कारन झन बनय।

अऊ जब मेंह आहूं, त अऊ आने चीजमन के बारे म बताहूं।