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परमेस्सर क बोलाउब अउ योना क भागब

अमित्तै क पूत योना स यहोवा कहेस। यहोवा कहेस, “नीनवे[a] एक ठु बड़का नगर अहइ। हुआँ क लोग जउन पाप करम करत अहइँ, ओनमाँ बहोत स पापन क बारे मँ मइँ सुनेउँ ह। एह बरे तू उ सहरे मँ जा अउर हुआँ क लोगन्क बतावा कि उ पचे ओन बुरे पापन करब तजि देइँ।”

योना परमेस्सर क बात नाहीं मानइ चाहत रहा, तउ योना परमेस्सर स कहूँ दूरि पराइ बरे जतन किहेस। तउ योना यापो[b] कइँती चला गवा। योना एक ठु नाव लिहेस जउन सुदूर सहर तर्सीस[c] कइँती जात रही। योना आपन जात्रा बरे धन दिहस अउर उ नाव पइ जाइके चढ़ा। योना चाहत रहा कि इ नाव पइ उ लोगन्क संग तसीर्स चला जाइ अउर कहूँ दूरि पराइ जाइ।

खउफनाक तूफान

मुला यहोवा सागरे मँ एक ठु खउफनाक तूफान उठाइ दिहस। आँधी सागरे क बहोत असान्त कइ दिहेन इ अइसा लागत रहा कि जहाज क टूका-टूका होइ जाब्या। तूफान ऍतना प्रबल रहा कि नाव क बूड़इ स बचावइ बरे ओका तनिक हलका कइ दीन्ह जाइके निर्णय कीन्ह गएस। तउ मल्लाह नाव क सामान क उठाइके सागरे मँ बहावइ लागेन। उ पचे बहोतइ ससाइ ग रहेन। हर मनई अपने अपने देवतन स पराथना करइ लागेन।

योना सोवइ बरे नाव मँ खाले तलघरा चला गवा रहा, अउर उ सोवत रहा। नाव क प्रमुख खेवइया योना क इ रूपे मँ लखिके कहेस, “उठा! तू काहे सोवत अहा? आपन परमेस्सर स पराथना करा। होइ सकत ह, तोहार परमेस्सर तोहार पराथना सुनि लेइ अउर हम पचन्क बचाइ लेइ।”

इ तूफान काहे आवा?

मनइयन फुन आपुस मँ कहइ लागेन, “हम पचन्क इ जानइ बरे कि हम पचन्पइ बिपदा कउने कारण पड़ति अहइँ, हम पचन्क पाँसन लोकाँवइ चाही।”

तउ लोगन पासन्क लोकाँएन। पाँसन्स इ परगट भवा कि बिपदन योना क कारण आइ अहइँ। एह पइ मनइयन योना स कहेन, “इ केकर दोख अहइ, जेकरे कारण इ सबइ बिपदन हम पचन पइ पड़ी अहइँ? हम पचन्क बतावा तोहार काम धंधा का अहइ? तू कहाँ स आवत अहा? तोहार देस कउन स बाटइ? तोहार आपन लोग कउन अहइँ?”

योना मनइयन स कहेस, “मइँ एक ठु हिब्रू अहउँ अउर सरगे क परमेस्सर यहोवा क उपासना करत हउँ, उ उहइ परमेस्सर अहइ, जउन सागरे अउ धरती क दुइनउँ क रचेस ह।”

10 योना मनइयन स कहेस कि उ यहोवा स दूरि भागत अहइ। जब मनइयन क इ क पता लगि तउ उ पचे बहोतइ ससाइ गएन। मनइयन योना स कहेन, “तू इ पाप आपन परमेस्सर क खिलाफ काहे किह्या ह”[d]

11 ओहर आँधी अउ तूफान अउर समुद्दर क लहरियन तेज स तेज होत भइ जात रहिन। तउ मनइयन योना स कहेन, “समुद्दर क सान्त करइ बरे हम पचन्क तोहरे संग का करइ चाही?”

12 योना मनइयन स कहेस, “मइँ जानत हउँ कि मोरे कारण ही समुद्दर मँ इ तूफान आवा ह। तउ तू पचे मोका समुद्दरे मँ लोकाइ द्या। एहसे तूफान सान्त होइ जाइ।”

13 मुला उ पचे योना क समुद्दर मँ लोकावइ नाहीं चाहत रहेन। मल्लाह नइया क किनारे वापस लिआवइ बरे ओका खेवइ क जतन करइ लागेन। मुला उ पचे वइसा नाहीं कइ पाएन, काहेकि आँधी, तूफान अउ समुद्दर क लहरियन बहोत ताकतवर रहिन। अउर उ सबइ तेज स तेज होत जात रहिन।

योना क सजा

14 तउ मनइयन यहोवा क गोहँरावत भए कहेस, “हे यहोवा, इ मनई क हम पचे एकर ओन बुरे करमन बरे समुद्दर मँ लोकावत अही, जउन इ किहेस ह। किरपा कइके, तू हम पचन्क कउनो बेकसूर मनई क हत्तियारा जिन कहया। एकरे हत्तिया बरे तू हम पचन्क जिन मारि डाया। हम पचे जानित ह कि तू यहोवा अहा अउर तू जइसा चहब्या, वइसा ही करब्या। मुला किरपा कइके तू हम पचन्प दयालु ह्वा।”

15 तउ मनइयन योना क समुद्दरे मँ लोकाँइ दिहन। तूफान थम गवा, समुद्दर सान्त होइ गवा। 16 जब मनइयन इ लखेन, तउ पचे यहोवा स डेराइ लागेन अउ ओकर सम्मान करइ लागेन। मनइयन एक ठु बलि दिहन, अउर यहोवा स बिसेस मन्नतन क माँगेन।

17 योना जब समुद्दर मँ गिरा, तउ यहोवा योना क लील जाइ बरे एक ठु बहोत बड़की मछरी पठएस। योना तीन दिन अउ तीन राति तलक ओ मछरी क पेटे मँ रहा।

Footnotes

  1. 1:2 नीनवे असीरिया क राजधानी। असीरिया क फउज उत्तरी इस्राएल क बर्बाद 722–721 ई. पू. मँ किहस।
  2. 1:3 यापो भूमध्य सागर स लगा इस्राएल क समुदरी तट क एक ठु कसबा।
  3. 1:3 तर्सीस साइद इ स्पेन मँ एक सहर। इ पच्छिम मँ बहोतइ दूर रहा जहाँ योना पहोंच सका। नीनवे इस्राएल क पूरब मँ रहा।
  4. 1:10 तू इ … किह्या ह साब्दिक “तू का किहस ह।”

Jonah Flees From the Lord

The word of the Lord came to Jonah(A) son of Amittai:(B) “Go to the great city of Nineveh(C) and preach against it, because its wickedness has come up before me.”

But Jonah ran(D) away from the Lord and headed for Tarshish(E). He went down to Joppa,(F) where he found a ship bound for that port. After paying the fare, he went aboard and sailed for Tarshish to flee from the Lord.(G)

Then the Lord sent a great wind on the sea, and such a violent storm arose that the ship threatened to break up.(H) All the sailors were afraid and each cried out to his own god. And they threw the cargo into the sea to lighten the ship.(I)

But Jonah had gone below deck, where he lay down and fell into a deep sleep. The captain went to him and said, “How can you sleep? Get up and call(J) on your god! Maybe he will take notice of us so that we will not perish.”(K)

Then the sailors said to each other, “Come, let us cast lots to find out who is responsible for this calamity.”(L) They cast lots and the lot fell on Jonah.(M) So they asked him, “Tell us, who is responsible for making all this trouble for us? What kind of work do you do? Where do you come from? What is your country? From what people are you?”

He answered, “I am a Hebrew and I worship the Lord,(N) the God of heaven,(O) who made the sea(P) and the dry land.(Q)

10 This terrified them and they asked, “What have you done?” (They knew he was running away from the Lord, because he had already told them so.)

11 The sea was getting rougher and rougher. So they asked him, “What should we do to you to make the sea calm down for us?”

12 “Pick me up and throw me into the sea,” he replied, “and it will become calm. I know that it is my fault that this great storm has come upon you.”(R)

13 Instead, the men did their best to row back to land. But they could not, for the sea grew even wilder than before.(S) 14 Then they cried out to the Lord, “Please, Lord, do not let us die for taking this man’s life. Do not hold us accountable for killing an innocent man,(T) for you, Lord, have done as you pleased.”(U) 15 Then they took Jonah and threw him overboard, and the raging sea grew calm.(V) 16 At this the men greatly feared(W) the Lord, and they offered a sacrifice to the Lord and made vows(X) to him.

Jonah’s Prayer

17 Now the Lord provided(Y) a huge fish to swallow Jonah,(Z) and Jonah was in the belly of the fish three days and three nights.