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हे परमेस्सर, एक मनई अहइ जउन तोहार अनुसरण नाहीं करत।
    उ मनई दुट्ठ अहइ अउ झूठ बोलत ह।
    हे परमेस्सर, मोर मोकदमा लड़ा अउर इ निर्णय करा कि कउन सत्य बाटइ।
    मोका उ मनई स बचाइ ल्या।
हे परमेस्सर, तू ही मोर सरणस्थल अहा!
    मोका तू काहे बिसराइ दिहा?
तू मोका इ काहे नाहीं देखाँया
    कि मइँ आपन दुस्मनन स कइसे बचिके निकरउँ?
हे परमेस्सर, तोहार जोति अउ सच्चाई क मोह पइ चमकइ द्या।
    उ मोका तोहार पवित्तर पर्वत पइ तोहार आपन वास-स्थान जाइ मँ अगुवाइ करइ।
मइँ तउ परमेस्सर क वेदी क लगे जाब।
    परमेस्सर मइँ तोहरे पास आउब।
उ मोका आनन्दित करत ह।
    हे परमेस्सर, हे मेरे परमेस्सर, मइँ वीणा पइ तोहार स्तुति करब।

मइँ ऍतना दुःखी काहे हउँ?
    मइँ काहे ऍतना बियाकुल हउँ?
“मोका परमेस्सर क सहारे क बाट जोहइ चाही।
    मोका अब भी ओकर स्तुति क अवसर मिली।
    उ मोका बचाई।”