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“अय्यूब अगर तू चाहा तउ पुकारिके लखि ल्या मुला तोहका कउनो भी जवाब नाही देइ।
    तू कउनो भी सरगदूत कइँती मुड़ नाहीं सकत ह।
मूरख क किरोध उहइ क नास कइ देइ।
    मूरख मनई क ईर्स्या ओका ही मरि डइहीं।
मइँ एक मूरख क लखे रहेउँ जउन सोचत रहा कि उ सुरच्छित बाटइ।
    जेकर घर एका-एक सरापित कइ दीन्ह ग रहा[a]
अइसे मूरख मनई क सन्तानन क कउनो भी मदद नाहीं कइ सका।
    कचहरी मँ ओनका बचइया कउनो नाहीं रहा।
ओकरी फसल क भूखे लोग खाइ गएन।
    हिआँ तलक कि भूखे लोग काँटन क झाड़ियन क बीच जमा भवा अन्न क उठाइ लइ गएन।
    जउन कछू भी ओन लोगन क लगे रहा उ सबइ चिजियन क लालची मनइयन उठाइके लइ गएन।
मुसीबत माटी स नाहीं निकरत ह,
    न ही विपत्ति मैदान मँ जामत ह।
मनई क जन्म दुःख भोगइ बरे भवा ह।
    इ ओतना ही फुरइ अहइ जेतना फुरइ अहइ कि आगी स चिनगारी ऊपर उठत ह।
मुला अय्यूब, अगर तोहरी जगह मइँ होतेउँ तउ मइँ परमेस्सर क लगे जाइके
    आपन दुःखड़ा कहितेउँ अउर ओकरे लगे राय माँगतेउँ।
परमेस्सर क कारनामा समुझइ मँ बहोत अदभुत अहइँ।
    परमेस्सर क अजूबा गना नाहीं जाइँ।
10 परमेस्सर धरती पइ बर्खा क पठवत ह,
    अउर उहइ खेतन मँ पानी पठवा करत ह।
11 परमेस्सर विनम्र लोगन क ऊपर उठावत ह।
    उ ओका ऊपर उठाइके दुःखी क जन क बचावत ह।
12 परमेस्सर चालाक अउ दुट्ठ लोगन क कुचाल क रोक देत ह।
    एह बरे ओनका सफलता नाहीं मिला करत।
13 परमेस्सर चतुर क उहइ क चतुराइ भरी जोजना मँ पखरि लेत ह।
    एह बरे ओनकर चतुराइ भरी सबइ जोजना असफल होतिन।
14 उ सबइ चालाक लोग दिन क प्रकास अँन्धियारा क नाई होइ गवा।
    हिआँ तलक कि दुपहर मँ भी उ पचे आधी-रात क जइसा ठोकर खात हीं।
15 परमेस्सर दीन मनई क मउत स बचावत ह
    अउर ओनका सक्तीसाली चतुर लोगन क सक्ती स बचावत ह।
16 एह बरे दीन मनई क भरोसा अहइ
    कि परमेस्सर इ होइ क निआव नाही करब।

17 “उ मनई भाग्यवान अहइ, जेकर परमेस्सर सुधार करत ह
    एह बरे जब सर्व सक्तीसाली परमेस्सर तू पचन्क सजा देत होइ तउ तू आपन दुःखड़ा जिन रोआ।
18 परमेस्सर ओन घावन पइ पट्टी बाधँत ह जेनका उ दिहस ह।
    उ चोट पहोंचावत ह मुला ओकर ही हाथ चंगा भी करत हीं।
19 उ तोहका छ: विपत्तियन स बचावा।
    हा! सात विपत्तियन मँ तोहका कउनो नोस्कान न होइ।
20 अकाल क समइ परमेस्सर तोहका मउत स बचाइ
    अउर परमेस्सर जुद्ध मँ तोहर मउत रच्छा करी।
21 जब लोग आपन कठोर सब्दन स तोहरे बरे बुरी बात बोलिहीं,
    तब परमेस्सर तोहर रच्छा करी।
    विपत्तियन क समइ तोहका डेराइ क जरुरत नाहीं होइ।
22 तू विनास अउ भुखमरी स समइ मँ भी खुस रहब्य़ा।
    अउर तोहका जगंली जनावरन स भी कबहुँ नाहीं डेराइ चाहीं।
23 मैदानन क चट्टानन तोहार साथी क होइ।
    जंगली जनावरन भी तोहरे संग सान्ति रखत हीं।
24 तू सान्ति स रहब्या काहेकि तोहार तम्बू सुरच्छित अहइ।
    तू पचे आपन भेड़न क बाड़ा भी लखब्या, अउर ओहमाँ एक भी भेड़ हेराइ नाहीं।
25 तोहर बहोत सन्तानन होइहीं।
    उ सबइ एँतना होइहीं जेतना घासे क पाती भुइयाँ पइ अहइँ।
26 तू उ पका भवा गोहूँ जइसा होब्या जउन कटनी क समइ तलक पकत ह।
    हाँ, तू पूरी उमर तलक जिअत रहब्या।

27 “अय्यूब, हम पचे इ सबइ बातन जाँचित ह अउर हम पचे जानित ह कि इ सबइ फुर अहइँ।
    एह बरे अय्यूब मोर सुना अउर तू इ सबन्क खुद आपन समुझ ल्या।”

Footnotes

  1. 5:3 जेकर … रहा या मुला मइँ ओकरे घरे क एका-एक सरापेतउँ।