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धूप जलाने की वेदी

30 परमेश्वर ने मूसा से कहा, “बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनाओ। तुम इस वेदी का उपयोग धूप जलाने के लिए करोगे। तुम्हें वेदी को वर्गाकार अट्ठारह इंच लम्बी और अट्ठारह इंच चौड़ी बनानी चाहिए। यह छत्तीस इंच ऊँची होनी चाहिए। चारों कोनों पर सींग लगे होने चाहिए। ये सींग वेदी के साथ एक ही इकाई के रूप में वेदी के साथ जड़े जाने चाहिए। वेदी के ऊपरी सिरे तथा उसकी सभी भुजाओं को शुद्ध सोने से मढ़ो। वेदी के चारों ओर सोने की पट्टी लगाओ। इस पट्टी के नीचे सोने के दो छल्ले होने चाहिए। वेदी के दूसरी ओर भी सोने के दो छल्ले होने चाहिए। ये छल्ले वेदी को ले जाने के लिए बल्लियों को फँसाने के लिए होंगे। बल्लियों को भी बबूल की लकड़ी से ही बनाओ। बल्लियों को सोने से मढ़ो। वेदी को विशेष पर्दे के सामने रखो। साक्षीपत्र का सन्दूक उस पर्दे के दूसरी ओर है। उस सन्दूक को ढकने वाले ढक्कन के सामने वेदी रहेगी। यही वह स्थान है जहाँ मैं तुमसे मिलूँगा।

“हारून हर प्रातः सुगन्धित धूप वेदी पर जलाएगा। वह यह तब करेगा जब वह दीपकों की देखभाल करने आएगा। उसे शाम को जब वह दीपकों की देखभाल करने आए फिर धूप जलानी चाहिए। जिससे यहोवा के सामने नित्य प्रति सुबह शाम धूप जलती रहे। इस वेदी का उपयोग किसी अन्य प्रकार की धूप या होमबलि के लिए मत करना। इस वेदी का उपयोग अन्नबलि या पेय भेंट के लिए मत करना।

10 “वर्ष में एक बार हारून यहोवा को विशेष बलिदान अवश्य चढ़ाए। हारून पापबलि के खून का उपयोग लोगों के पापों को धोने के लिए करेगा, हारून इस वेदी के सींगों पर यह करेगा। यह दिन प्रायश्चित का दिन कहलाएगा। यह यहोवा के लिए अति पवित्र दिन होगा।”

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